जयंती का उत्सव करीब 7 दिनों तक रहता है। 8-10 लाख भक्त यहां पर आते हैं। उनके खाने और रहने की उत्तम व्यवस्था होती है। रविदास जयंती पर आने वाले रैदासियों के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन द्वारा की जाती है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में तंबुओं का शहर बसाया जाता है, जिसे लोग बेगमपुरा कहते हैं। सबसे ज्यादा रैदासी पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र से आते हैं। मंदिर के आसपास 70 पंडाल बनाए जा रहे हैं। एक पंडाल बनाने में 500 मीटर कपड़ा और 300 बांस लग रहे हैं। यहां पर लंगर छकने, अस्पताल, प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर कई जरूरी विभाग होते हैं।वाराणसी पहुंचा लंगर का स्टॉक
संत रविदास जयंती पर वाराणसी में विशाल लंगर शुरू हो रहा है। भोजन तैयार कराने की पूरी जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट की है। लंगर के लिए भोजन सामग्री जालंधर पहुंच चुका है। इसमें 400 टीन रिफाइंड, 350 डिब्बा वनस्पति घी, 300 बोरी दाल, 50 बोरी दूध, 30 बोरी बेसन, 1 क्विंटल चाय पत्ती, 30 क्विंटल मसाला, गेहूं और चावल भरपूर मात्रा में स्टोर रूम में रखवा दी गई है।