क्या मिलेगा राजस्थान विधानसभा को उपाध्यक्ष?



जयपुर. राज्य विधानसभा का आखिरी बजट सत्र चल रहा है, जो मार्च में खत्म हो जाएगा। इस बजट सत्र में एक चर्चा यह भी चल रही है कि, क्या सीएम गहलोत के पिछली बार के कार्यकाल की तरह इस बार भी देरी से ही किसी को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया जाएगा?


कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा में उपाध्यक्ष की नियुक्ति जल्द हो जाएगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार का यह आखिरी बजट सत्र चल रहा है, लेकिन अभी तक उपाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं, मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी भी किसी नए विधायक को नहीं दी गई है। महेश जोशी को मंत्रिमंडल विस्तार में केबिनेट मंत्री तो बना दिया गया, लेकिन मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी आज भी महेश जोशी ही निभा रहे हैं। मुख्य सचेतक का पद ही अतिरिक्त कार्य भार के भरोसे ही चल रहा है।
गहलोत के पिछले कार्यकाल में भी फरवरी 2012 में हुई थी नियुक्ति

: सीएम गहलोत के 2008 से 2013 के कार्यकाल के दौरान फरवरी, 2012 में ही विधानसभा को उपाध्यक्ष मिला था। विधायक रामनारायण मीणा 29 फरवरी, 2012 को उपाध्यक्ष बने थे। अशोक गहलोत के पहले कार्यकाल में यह पद रिक्त नहीं रहा था। उन्होंने सरकार बनने के कुछ समय बाद ही देवेन्द्र सिंह को उपाध्यक्ष बना दिया था।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
राजस्थान सहित पांच राज्यों की विधानसभा में उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में मुद्दा उठाया है कि संविधान में प्रावधान होने के बावजूद राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा में उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं कराया गया है। उपाध्यक्ष अध्यक्ष की अनुपस्थिति में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं। याचिका में यह भी कहा है कि विपक्षी दल से उपाध्यक्ष चुनने की एक स्वस्थ परंपरा रही है, जिसे जारी रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट से उपाध्यक्ष का एक माह में चुनाव कराने का निर्देश देने की मांग की गई है।

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