बहुराष्ट्रीय राज्य नेपाल स्थापनार्थ राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति द्वारा आयोजित एक समारोह में क्या बोले पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेन्द्र महतो

 


नेपाल भैरहवा


भैरहवा नेपाल। नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेन्द्र महतो ने कहा है कि नेपाल का संविधान समूचे नेपालियों के हित में नहीं है। नेपाल के वर्तमान संविधान में काफी खामियां हैं जिससे नेपाली नागरिकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। राजेन्द्र महतो आज भैरहवा में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। श्री महतो बहुराष्ट्रीय राज्य नेपाल स्थापनार्थ राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति द्वारा आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे।


कहा कि इस समय देश बहुत ही विषम परिस्थितियों से  जूझ रहा है। लगातार सरकार बदल रही है। आम जनता पूरी तरह से पीड़ित हैं। अपने लंबे राजनीतिक जीवन में हमें कई बार उनका साक्षात्कार लेने का अवसर मिला है, लेकिन आज हम जिन विभिन्न परिस्थितियों के बीच देश के तात्कालिक एवं दीर्घकालिक मुद्दों पर अपने विचार रखने आए हैं। विद्वानों ने विश्व की वर्तमान स्थिति को अत्यंत अनिश्चितता और भ्रम का युग कहा है और नेपाल के आकाश पर भी काले बादल मंडरा रहे हैं। जिससे नेपाली समाज के भीतर बड़े विचलन की स्थिति पैदा कर दी है। वर्तमान अनिश्चितता और भ्रम के मूल कारण का विष्लेषण करना और एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए नये तरीके को संश्लेषित करना अनिवार्य है जिसमें समग्र सामाजिक रूप से हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए देश के लाभ के लिए अवसरों का उपयोग किया जायेगा


और कहा कि संविधान निर्माण के दौरान ऐतिहासिक मधेश थरूहट आंदोलन को पहाड़ विरोधी, आपराधिक और भारत द्वारा संचालित आंदोलन के रूप में दुष्प्रचारित किया गया और देश के दुश्मन नागरिक के रूप में के बहाने आंदोलन को क्रूरता से कुचल दिया गया। फिर भी लोगों ने विरोध जारी रखा। थरूहट के लोगों को दुखद हार का सामना करना पड़ा, आंदोलन ध्वस्त हो गया। मुसलमानों, दलितों, पिछड़े वर्ग और अन्य लोगों का सामाजिक न्याय आंदोलन आगे नहीं बढ़ सका। लगातार विरोध कर रहे लिंबुवान समेत अन्य जनजातियों का पहचानवादी आंदोलन भी सफल नहीं रहा।



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