सोनौली महराजगंज
नेपाल में 23 भद्र के बाद भड़की ‘जनरल-जी’ आंदोलन की हिंसा ने देश की जेलों और पुलिस हिरासत केंद्रों की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। सरकार द्वारा विरोध प्रदर्शन को दबाने के अगले ही दिन, 24 भद्र को पूरे देश में एक साथ भड़के प्रदर्शनों के दौरान 28 जेलों/किशोर सुधार गृहों और 150 से अधिक पुलिस हिरासत केंद्रों में भीषण तोड़फोड़ और आगजनी हुई। इस अफ़रा-तफ़री का फ़ायदा उठाते हुए 14,043 कैदी और बंदी फरार हो गए।
कारागार प्रबंधन विभाग के निदेशक चोमेंद्र नूपाने के अनुसार, बुधवार शाम तक लगभग 7,843 कैदी और बंदियों को दोबारा पकड़ लिया गया या वे स्वयं वापस लौट आए। फिर भी लगभग 6,200 कैदी और बंदी अभी भी फ़रार हैं। इनमें क़रीब 1,000 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं – जो चीन, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों के हैं। नेपाल-भारत की खुली सीमा को देखते हुए इन कैदियों के पड़ोसी देशों में घुसने या अलग-अलग नामों से विदेश भाग जाने का ख़तरा बना हुआ है।
बड़े अपराधों में संलिप्त कैदी भी भागे
फ़रार कैदियों में हत्या, डकैती, बलात्कार, मादक पदार्थों की तस्करी, विदेशी मुद्रा और सोने की तस्करी, भ्रष्टाचार तथा बहुचर्चित ‘फ़र्ज़ी भूटानी शरणार्थी’ मामले में रिमांड पर बंद आरोपी शामिल हैं। इनमें पूर्व उप प्रधानमंत्री टोप बहादुर रायमाझी, पूर्व सचिव टेक नारायण पांडे और तत्कालीन गृह मंत्री राम बहादुर थापा के सुरक्षा सलाहकार इंद्रजीत राय जैसे चर्चित नाम भी हैं। हालांकि रायमाझी, पांडे और राय बाद में स्वयं जेल लौट आए।
सोने की तस्करी के दोषी चूड़ामणि उप्रेती ‘गोरे’ भी दिल्ली बाज़ार जेल वापस आ चुके हैं, जबकि शरणार्थी मामले में रिमांड पर बंद केशव दुलाल और सानू भंडारी को मंगलवार शाम काठमांडू घाटी से गिरफ्तार किया गया। सहकारी धोखाधड़ी मामले में रिमांड के दौरान नक्खू जेल में बंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष रवि लामिछाने भी वापस लौट आए हैं।
हथियार और गोला-बारूद लूटे जाने से सुरक्षा चिंताएँ
पुलिस ने बताया कि हिंसा के दौरान पुलिस बैरकों और कार्यालयों से इंसास, एसएलआर राइफ़ल, पिस्तौल आदि 1,200 से ज़्यादा हथियार और क़रीब 1,00,000 राउंड गोला-बारूद लूटे गए। ग़ायब हुए ये हथियार और फरार कैदी देश में सशस्त्र समूहों के उभरने की संभावनाओं को बढ़ा रहे हैं।
कड़ी सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय असर
नेपाल सीमा और अन्य अंतरराष्ट्रीय नाकों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। कई देशों ने सुरक्षा हालात को देखते हुए अपने कदम कड़े किए हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने नेपाल से कामगारों की भर्ती पर अस्थायी रोक लगाई और यात्रा व कार्य वीज़ा निलंबित कर दिया है, जबकि क़तर और मलेशिया ने भी कड़े नियम लागू करने शुरू किए हैं।
पुलिस की तेज़ कार्रवाई
नेपाल पुलिस और कारागार विभाग लगातार फरार कैदियों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं। अब तक 7,843 लोगों को दोबारा हिरासत में लिया जा चुका है। पुलिस ने यह भी संकेत दिया है कि 24 भद्र की हिंसा के दौरान हिरासत कक्षों में घुसकर उत्पात मचाने वालों के ख़िलाफ़ भी अलग से कार्रवाई और जाँच होगी।
संक्षेप में
नेपाल में ‘जनरल-जी’ विद्रोह के दौरान 14 हज़ार से अधिक कैदी और बंदी जेलों/हिरासत केंद्रों से भाग गए थे। लगभग आधे से अधिक को वापस पकड़ा जा चुका है, लेकिन 6,200 अब भी फ़रार हैं, जिनमें 1,000 विदेशी नागरिक हैं। लूटे गए हथियार और खुली सीमाओं के कारण सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।









